कुंडली के तीसरे भाव को पराक्रम भाव कहा जाता है और उस भाव में स्थित राशि का स्वामी तृतीयेश कहलाता है।
ज्योतिष में तृतीय भाव पराक्रम, छोटे भाई-बहिन, कंठ-गला एवं साहस का होता है |
पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर तीसरे भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब तीसरे भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए तृतीयेश मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :
राशि क्रम | राशि | राशि स्वामी |
1 | मेष | मंगल |
2 | वृषभ | शुक्र |
3 | मिथुन | बुध |
4 | कर्क | चंद्र |
5 | सिंह | सूर्य |
6 | कन्या | बुध |
7 | तुला | शुक्र |
8 | वृश्चिक | मंगल |
9 | धनु | गुरु |
10 | मकर | शनि |
11 | कुंभ | शनि |
12 | मीन | गुरु |
यहाँ हम तृतीयेश का बारह भावों में फल बताएँगे | अपने मन से जो मुँह में आए वो बोल देने की अपेक्षा हमलोग शास्त्रों के आधार पर इन्हें समझेंगे :
1. तृतीयेश लग्न में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
2. तृतीयेश दूसरे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
3. तृतीयेश तीसरे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
4. तृतीयेश चौथे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
5. तृतीयेश पाँचवे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
6. तृतीयेश छठे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
7. तृतीयेश सातवें भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
8. तृतीयेश आठवें भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
9. तृतीयेश नौवें भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
10. तृतीयेश दशवे भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
11. तृतीयेश ग्यारहवें भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
12. तृतीयेश बारहवें भाव में
बृहत् पराशर होरा शास्त्र:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता: