वैदिक ज्योतिष और यांत्रिक अभियंताओं (Mechanical Engineers) का गहरा संबंध: शोध की एक अनोखी यात्रा

क्या आप विश्वास करेंगे अगर मैं कहूं कि आपकी जन्म कुंडली यह तय कर सकती है कि आप एक यांत्रिक अभियंता बनेंगे या नहीं? यह सुनकर शायद आपको आश्चर्य हो, लेकिन यही तथ्य श्री एस. वेंकटेश के पीएचडी शोध में उजागर हुआ है। इस शोध ने न केवल वैदिक ज्योतिष की सटीकता को साबित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आधुनिक विज्ञान और प्राचीन परंपराएं कैसे एक साथ मिलकर अद्भुत परिणाम दे सकती हैं।

आधुनिक विज्ञान और वैदिक परंपरा के संगम की कहानियां अक्सर रहस्यमय होती हैं। लेकिन जब एक पीएचडी शोध में यह दावा किया जाए कि ग्रह-नक्षत्र किसी व्यक्ति के यांत्रिक अभियंता बनने की दिशा तय कर सकते हैं, तो यह अपने आप में कौतूहल का विषय बन जाता है। श्री एस. वेंकटेश द्वारा लिखित शोध पत्र “Planetary Analysis for Mechanical Engineers” न केवल एक गहन अध्ययन है, बल्कि यह वैदिक ज्योतिष की सटीकता और वैज्ञानिकता को दर्शाने वाला एक प्रमाणिक दस्तावेज़ भी है।

इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –

शोधकर्ता और मार्गदर्शक का परिचय

शोधकर्ता: श्री एस. वेंकटेश ने यह शोध कार्य वेल्स इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज (VISTAS), चेन्नई में पूर्ण किया। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि न केवल ज्योतिष में रुचि को दर्शाती है, बल्कि यांत्रिक अभियंत्रण के क्षेत्र में उनकी समझ भी गहरी है। उन्होंने अशोक लेलैंड जैसी कंपनियों के अभियंताओं के जन्म कुंडलियों का अध्ययन कर इस शोध को साकार किया।

मार्गदर्शक: डॉ. ए.आर. गौतम, एक प्रतिष्ठित वैदिक ज्योतिषी और शोधकर्ता, ने इस अध्ययन में मार्गदर्शन किया। उनके पास वैदिक ज्योतिष में पीएचडी के साथ-साथ विज्ञान और प्रबंधन में गहन अनुभव है। उनके निर्देशन में यह शोध एक अनूठा मिश्रण बन गया है, जो परंपरा और विज्ञान को जोड़ता है।

मार्गदर्शक: श्री प्रत्यंगिरा स्वामी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और उनके पास ज्योतिष के अतिरिक्त MBA की भी डिग्री है !

शोध का उद्देश्य

इस शोध का उद्देश्य यह साबित करना था कि वैदिक ज्योतिष के नियमों के आधार पर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह यांत्रिक अभियंता बनेगा या नहीं। शोध में 100 से अधिक कुंडलियों का गहन अध्ययन किया गया, जिनके जन्मतिथि, स्थान, और समय का विवरण शोधपत्र में दिया गया है ताकि अन्य शोधकर्ता भी इसे सत्यापित कर सकें। इसमें पाया गया कि मंगल, शनि, और राहु जैसे ग्रहों की स्थिति यांत्रिक अभियंता बनने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कुंडलियों का विश्लेषण

  • मुख्य ग्रह: मंगल, शनि, राहु।
  • मुख्य भाव: 4th (शिक्षा), 5th (बुद्धि और रचनात्मकता), 10th (कर्मक्षेत्र), और 6th (नौकरी)।
  • मुख्य चार्ट:
    • D-1 (लग्न कुंडली)
    • D-9 (नवमांश)
    • D-10 (दशमांश)

शोध में पाया गया कि मंगल और शनि की आपसी दृष्टि या परस्पर संबंध यांत्रिक अभियंत्रण के क्षेत्र में सफलता का सूचक है।

अनुसंधान पद्धति और सांख्यिकी

डेटा संग्रहण:

  • 100+ कुंडलियों का डेटा गूगल फॉर्म, ईमेल और व्यक्तिगत इंटरव्यू के माध्यम से एकत्र किया गया।
  • इन कुंडलियों में अशोक लेलैंड और हिंदुजा ग्रुप जैसे संगठनों में कार्यरत अभियंताओं के डेटा शामिल थे।
  • आवृत्ति विश्लेषण: मंगल, शनि, और राहु की स्थिति और उनकी दशा का अध्ययन किया गया।
  • ग्रहों का प्रभाव: हर कुंडली में 10th और 6th भाव में ग्रहों की उपस्थिति और उनके प्रभाव का अध्ययन किया गया।
  • योगों की उपस्थिति: कई कुंडलियों में गजकेसरी योग जैसे शुभ योग पाए गए।
  • कई कुंडलियों में 10th भाव पर मंगल, शनि अथवा राहु का मजबूत प्रभाव था।
  • दशमांश और नवमांश चार्ट का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया।

अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  1. राहु का 10th भाव में प्रभाव यांत्रिक कार्यों और आविष्कारों की दिशा में इंगित करता है।
  2. शनि का अपनी उच्च राशि तुला में होना उच्च पदों और सफलता का प्रतीक है।
  3. मंगल और शनि की युति या दृष्टि, यांत्रिक अभियंत्रण की प्रबल संभावना को दर्शाती है।
  4. शोधपत्र में स्पष्ट किया गया है कि जिन अभियंताओं के करियर में संघर्ष था, उनकी कुंडलियों में 10th और 6th भाव कमजोर पाए गए।

अन्य विषय जो शोधपत्र में शामिल हैं:

  1. वैदिक ज्योतिष और करियर:
    • केवल यांत्रिक अभियंत्रण ही नहीं, बल्कि अन्य इंजीनियरिंग शाखाओं के लिए भी संभावित ग्रह स्थिति का उल्लेख।
  2. दशाओं का प्रभाव:
    • मंगल महादशा और शनि अंतर्दशा के प्रभाव का गहराई से अध्ययन।
  3. कुंडलियों का तुलनात्मक अध्ययन:
    • सफल और संघर्षरत अभियंताओं की कुंडलियों के बीच तुलना।
  4. शुभ और अशुभ योग:
    • परिवर्तन योग, गजकेसरी योग, और विश योग का विस्तार से उल्लेख।

आलोचकों के लिए संदेश: “पुरानी सोच बदलो, नया ज्ञान अपनाओ”

  1. “जब ज्योतिष इतनी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है, तो इसे अंधविश्वास कहने वाले अपनी सोच पर पुनर्विचार करें।”
  2. “क्या आधुनिक शोध आपको यह बताने के लिए काफी नहीं है कि ज्योतिष केवल परंपरा नहीं, बल्कि विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता है?”
  3. “अगर आप 1980 के शोधों पर अटके हुए हैं, तो आपको यह समझने की ज़रूरत है कि विज्ञान भी हर दशक में नया दृष्टिकोण अपनाता है।”
  4. “ज्योतिष को खारिज करने वाले वही लोग हैं, जिन्होंने इसके नवीनतम शोध को कभी पढ़ने की कोशिश नहीं की।”

शोध का महत्व: क्यों यह एक मील का पत्थर है?

  1. जर्नल प्रकाशन: यह शोध न केवल पीएचडी के लिए प्रस्तुत किया गया, बल्कि इसे प्रतिष्ठित जर्नल में भी प्रकाशित किया गया। यह इसकी प्रामाणिकता को और बढ़ाता है।
  2. आधुनिक विज्ञान और वैदिक परंपरा का संगम: यह अध्ययन साबित करता है कि आधुनिक और प्राचीन ज्ञान साथ मिलकर अद्वितीय परिणाम दे सकते हैं।
  3. समाज के लिए योगदान: यह शोध उन छात्रों और युवाओं के लिए मार्गदर्शक हो सकता है, जो अपने करियर को लेकर अनिश्चित हैं।

यह शोध पत्र जो जर्नल में छपा था वह भी इस थीसिस में है जिसका डाऊनलोड लिंक हमने नीचे दिया है |

इस थीसिस का लिंक

शोध पत्र की गहराई को समझने के लिए, हमने इस लेख का पीडीएफ उपलब्ध कराया है। इसे डाउनलोड करें और स्वयं इसकी सत्यता को परखें!

निष्कर्ष

Planetary Analysis for Mechanical Engineers” एक अद्वितीय शोध है जो ज्योतिष के गहन अध्ययन और आधुनिक करियर प्लानिंग के बीच एक सेतु का कार्य करता है। यह शोध न केवल ज्योतिष की सटीकता को प्रमाणित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे हमारी प्राचीन परंपराएं आज के संदर्भ में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।

तो, अगली बार जब कोई ज्योतिष को अंधविश्वास कहे, तो उसे यह शोध जरूर दिखाएं!