कुंडली के पंचम भाव को शिक्षा-संतान का भाव कहा जाता है एवं इस में स्थित राशि के स्वामी को पंचमेश कहा जाता है| ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, एवं प्रेम का होता है | संतान अर्थात सुत भाव के स्वामी होने की वजह से पंचमेश को सुतेश भी कहा जाता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर पंचमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है |
पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर चौथे भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब पंचम भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए पंचमेश मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :
राशि क्रम | राशि | राशि स्वामी |
1 | मेष | मंगल |
2 | वृषभ | शुक्र |
3 | मिथुन | बुध |
4 | कर्क | चंद्र |
5 | सिंह | सूर्य |
6 | कन्या | बुध |
7 | तुला | शुक्र |
8 | वृश्चिक | मंगल |
9 | धनु | गुरु |
10 | मकर | शनि |
11 | कुंभ | शनि |
12 | मीन | गुरु |
यहाँ हम पंचमेश का बारह भावों में फल बताएँगे | अपने मन से जो मुँह में आए वो बोल देने की अपेक्षा हमलोग शास्त्रों के आधार पर इन्हें समझेंगे :
1. पंचमेश लग्न में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
2. पंचमेश दूसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
3. पंचमेश तीसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
4. पंचमेश चौथे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
5. पंचमेश पाँचवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
6. पंचमेश छठे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
7. पंचमेश सातवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
8. पंचमेश आठवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
9. पंचमेश नौवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
10. पंचमेश दशवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
11. पंचमेश ग्यारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
12. पंचमेश बारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):