द्वादशेश (व्ययेश) के बारह भावों में शास्त्रानुमोदित फल

कुंडली के बारहवें भाव को व्यय भाव कहा जाता है एवं इस में स्थित राशि के स्वामी  को द्वादशेश (व्ययेश) कहा जाता है| ज्योतिष में बारहवाँ भाव व्यय, धन हानि, जेल यात्रा, हॉस्पिटल में खर्च आदि का होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर द्वादशेश (व्ययेश) अलग-अलग फल प्रदान करता है |

पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर बारहवें (व्यय) भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब बारहवें (व्यय) भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए द्वादशेश (व्ययेश) मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :

राशि क्रमराशिराशि स्वामी
1मेषमंगल
2वृषभशुक्र
3मिथुनबुध
4कर्कचंद्र
5सिंहसूर्य
6कन्याबुध
7तुलाशुक्र
8वृश्चिकमंगल
9धनुगुरु
10मकरशनि
11कुंभशनि
12मीनगुरु
Rashis (Zodiacs) and their Lords

द्वादशेश (व्ययेश) लग्न में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) दूसरे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) तीसरे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) चौथे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) पाँचवे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) छठे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) सातवें भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) आठवें भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) नौवें भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) दशवे भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) ग्यारहवें भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

नोट: यहाँ गलती से अनुवाद में एकादश स्थान के बजाये बारहवाँ स्थान छाप गया है |

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):

द्वादशेश (व्ययेश) बारहवें भाव में

पराशर:

मानसागरी:

यवन जातक:

ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):