ज्योतिष हमेशा से एक रहस्यमय विषय रहा है, जिसे विज्ञान की दुनिया में पर्याप्त स्थान नहीं मिला है। हालांकि, हाल के वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग के विकास ने इस विषय में नई संभावनाएँ खोली हैं। इस ब्लॉग में हम चार शोध पत्रों का गहन विश्लेषण करेंगे, जो स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि कैसे एआई ज्योतिष को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है। साथ ही, हम उन आलोचकों का भी जिक्र करेंगे, जैसे कि आचार्य प्रशांत (इन स्वघोषित आचार्य को मैं आचार्य नहीं मानता और उन्हें आर्य प्रशांत कहकर बुलाता हूँ) और ध्रुव राठी, जो बिना किसी गहन अध्ययन के ज्योतिष की प्राचीनता को खारिज करते हैं।
इस विषय में हमारा यह वीडियो द्रष्टव्य है –
शोध पत्र 1: Astrological Prediction for Profession Doctor using Classification Techniques of AI (2015)
लेखक: Neelam Chaplot, Praveen Dhyani, O. P. Rishi
- शोधकर्ताओं की शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
- Neelam Chaplot: कंप्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर, ज्योतिष में विशेष रुचि।
- Praveen Dhyani: गणित और सांख्यिकी में विशेषज्ञता, कंप्यूटर विज्ञान में डॉक्टरेट।
- O. P. Rishi: ज्योतिष और डेटा विज्ञान में ज्ञान, अनेक शोध पत्रों के लेखक।
इस शोध पत्र में 102 रिकॉर्ड का उपयोग किया गया, जिनमें से आधे डॉक्टर और आधे अन्य पेशेवर थे। शोधकर्ताओं ने विभिन्न मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग किया, जैसे लॉजिस्टिक रिग्रेशन, नाइव बेयस, और Decision Stump, ताकि यह समझा जा सके कि कैसे ज्योतिषीय डेटा का उपयोग करके भविष्यवाणियाँ की जा सकती हैं।
इस अध्ययन में जन्म तिथि, जन्म समय, और जन्म स्थान जैसी जानकारी का उपयोग किया गया, जिससे उन्होंने 100 व्यक्तियों के लिए ज्योतिषीय चार्ट तैयार किया। इससे पता चलता है कि किस ग्रह की स्थिति व्यक्ति के पेशे पर प्रभाव डाल सकती है। इस शोध में यह पाया गया कि ज्योतिष से मिले डाटा पर Simple Logistic with 12 fold cross validation की accuracy 54.902% है जो कि तुक्के से बेहतर (Statistically Significant) है ! शोधकर्ता का कहना है की डाटा में कुछ सुधार करके इसकी सटीकता सटीकता बढ़ाई जा सकती है।
इस शोध पत्र को आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं –
किसी भी विषय की गहराई में जाकर समझना और फिर उस पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या आर्य प्रशांत और ध्रुव राठी ने कभी ये शोध पत्र पढ़े हैं? अगर उन्होंने किया होता, तो शायद उनकी सोच में बदलाव आ जाता। ये शोध पत्र दिखाते हैं कि कैसे वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से ज्योतिष को समझा जा सकता है और इसकी विश्वसनीयता को सिद्ध किया जा सकता है।
शोध पत्र 2: Predictive Approach of CBR in AI: A Case of Astrological Predictions About the Status of Person (2017)
यह भी नीलम जी का ही शोध है जो इन्होने में किया था | इसमें उन्होंने अन्य व्यवसायों पर ज्योतिषीय डाटा पर Machine Learning अल्गोरिथम से prediction पर शोध किया ! इसके बारे में भी उन्होंने कहा है कि शोध का परिणाम संतोषजनक है !
शोध पत्र 3: Prediction of Research Studies Status on Astrological Data using Machine Learning (2022)
लेखक: L. Vigneswaran, Dr. N. Nagadeepa
- शोधकर्ताओं की शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
- L. Vigneswaran: सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर, डेटा एनालिसिस में विशेषज्ञता।
- Dr. N. Nagadeepa: कंप्यूटर विज्ञान में डॉक्टरेट, मशीन लर्निंग में विशेष रुचि।
यह शोध पत्र ज्योतिषीय डेटा का उपयोग करके अनुसंधान अध्ययन की स्थिति का पूर्वानुमान लगाने पर केंद्रित है। इसमें विभिन्न मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके यह प्रदर्शित किया गया है कि कैसे एक व्यक्ति की ज्योतिषीय जानकारी, जैसे कि ग्रहों की स्थिति और जातक के चार्ट, अनुसंधान की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।
इस अध्ययन में 201 विद्वानों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें यह देखा गया कि ज्योतिषीय भविष्यवाणियाँ न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह शोध पत्र 92.31% की उच्च सटीकता के साथ परिणाम देता है।
इस शोध पत्र को आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं –
एक बार फिर, आलोचकों को यह याद रखना चाहिए कि जब ज्योतिष की बात आती है, तो उनके पास कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। क्या आर्य प्रशांत और ध्रुव राठी ने कभी यह सोचा है कि ये तकनीकी प्रगति उनकी पूर्वधारणाओं को कैसे चुनौती दे सकती है? विज्ञान केवल तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है, और ये शोध पत्र इस क्षेत्र में उसी की पुष्टि करते हैं।
शोध पत्र 4: Scientific Approach of Prediction for Professions using Machine Learning
लेखक: Snehlata Barde, Sangeeta Tiwari, Brijesh Patel
- शोधकर्ताओं की शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
- Snehlata Barde: कंप्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर, मशीन लर्निंग में विशेषज्ञता।
- Sangeeta Tiwari: सूचना प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट, डेटा एनालिसिस में रुचि।
- Brijesh Patel: विज्ञान में स्नातक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर शोध कार्य।
इस शोध में, विभिन्न पेशों का पूर्वानुमान लगाने के लिए मशीन लर्निंग वर्गीकरण तकनीकों का उपयोग किया गया है। इसमें 100 व्यक्तियों के जन्म का डेटा लिया गया और यह दर्शाया गया कि कैसे विभिन्न ग्रहों की स्थिति से उनकी पेशेवर संभावनाएँ निर्धारित की जा सकती हैं।
इस शोध में यह दिखाया गया है कि कैसे Naïve Bayes, Logistic Regression, और J48 जैसी मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके ज्योतिषीय डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है। 100 व्यक्तियों का डेटा एकत्र करने के बाद, शोधकर्ताओं ने ज्योतिषीय चार्ट तैयार किया और विभिन्न वर्गीकरण तकनीकों के माध्यम से भविष्यवाणियाँ कीं।
इस शोध पत्र को आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं –
यह निश्चित रूप से उन लोगों के लिए एक आंख खोलने वाला तथ्य है जो ज्योतिष को “अंधविश्वास” मानते हैं। क्या वे नहीं समझते कि ज्ञान का एक पूरा इतिहास है जो इसे समर्थन करता है? यह तथ्य और भी मजेदार है कि ये शोध पत्र विज्ञान को ज्योतिष के साथ जोड़ते हैं, जबकि आलोचक केवल अंधविश्वास का आरोप लगाते हैं।
शोध पत्रों के महत्व
इन शोध पत्रों से स्पष्ट होता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ज्योतिष के बीच का संबंध केवल अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक आधार है जो लगातार विकसित हो रहा है। आलोचकों को चाहिए कि वे अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर इन प्रमाणों की ओर ध्यान दें।
ज्योतिष को केवल एक “विश्वास” के रूप में नहीं, बल्कि एक समृद्ध ज्ञान के रूप में समझा जाना चाहिए। इससे न केवल व्यक्तियों को अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलती है, बल्कि वे अपने भविष्य के लिए बेहतर निर्णय भी ले सकते हैं।
निष्कर्ष
इन शोध पत्रों से यह सिद्ध होता है कि एआई न केवल ज्योतिष की सटीकता को बढ़ा सकता है, बल्कि इसे एक वैज्ञानिक आधार भी प्रदान कर सकता है। हम सभी को चाहिए कि हम अपनी सोच को खोलें और नई जानकारी और तकनीकों का स्वागत करें।
इन शोधों का परिणाम केवल व्यक्तिगत भविष्यवाणियाँ नहीं हैं, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि हम विज्ञान और प्राचीन ज्ञान के इस समागम को समझें और अपनाएँ।