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क्या अंगारक दोष लोगों की ज़िन्दगी बर्बाद कर देता है ?

भूमिका

मित्रों ! रामायण और महाभारत हमारे दो प्राचीन महा काव्य हैं | ये हज़ारों वर्ष पुराने हैं | समय के साथ इनकी कथाएं जन – जन में व्याप्त हो चुकी है | लेकिन इसकी यही प्राचीनता कभी कभी समस्या की जड़ भी बन जाती है | समय के साथ इस में कई सारी किम्वदंतियां प्रचलित हो गयीं | धीरे धीरे समय के साथ लोगों ने मूल ग्रंथों का अध्ययन कम कर दिया | इसके फलस्वरूप लोग उन्हीं किंवदंतियों को सत्य समझने लगे |


कुछ ऐसा ही दुर्भाग्य ज्योतिष के साथ भी घटा | आज से बहुत काल पूर्व युगद्रष्टा श्री पराशर जी ने बृहत् पराशर होरा शास्त्र लिख कर संसार पर महान उपकार किया | यह ग्रन्थ वैदिक ज्योतिष का मुख्य ग्रन्थ है | लेकिन समय के साथ लोगों ने इसके अध्ययन में कमी कर दी | फलस्वरूप समाज में अंगारक, कालसर्प, जड़त्व दोष आदि अनेक प्रकार की किम्वदंतियां प्रचलित हो गयीं जिनका मूल पराशर के शास्त्र में कहीं उल्लेख नहीं है | अंगारक दोष भी एक ऐसा ही दोष है ! आज से 50-100 साल पहले किसी ने अंगारक दोष अपने मन से गढ़ के समाज में प्रचलित कर दिया | और आज कई पंडित पुरोहित ये दोष कुंडली में दिखा के लोगों को डराते हैं और उपाय के नाम पर पैसे ऐंठते हैं |

क्या है अंगारक दोष ?


जब कुंडली में मंगल और राहु एक ही भाव में बैठ जाते हैं तो इसे अंगारक दोष कह दिया जाता है | बाद में तो ऐसा भी प्रचलित कर दिया गया कि अगर राहु नहीं भी हो, केतु भी हो तो उससे भी अंगारक दोष लग जाएगा | इतना ही नहीं इसके कई दुष्परिणाम भी प्रचारित कर दिए गए :
1. जातक क्रोधी होगा,
2. जातक का व्यवसाय अच्छा नहीं चलेगा
3. धन की कमी होगी
4. शादी अच्छी नहीं चलेगी
5. जीवन बर्बाद हो जाएगा
इत्यादि इत्यादि |

फिर क्या है | जब एक बार जातक डर जाए तो उससे कोई भी काम करवाया जा सकता है | फिर उससे तरह तरह के उपाय, पूजा पाठ करवाए जाते हैं | अगर ज्योतिषी की किसी रत्न के व्यवसायी के साथ साँठ-गाँठ हो तो रत्न भी बेचा जाता है | इस तरह से ज्योतिष के नाम पर अनेक काले धंधे चलते हैं !

अंगारक दोष का सत्य


सत्य इतना ही है की ऐसे किसी दोष की चर्चा किसी भी प्राचीन ग्रन्थ में नहीं है | हम सुभीते के लिए आपको बृहत् पराशर होरा शास्त्र के सारे हिंदी अनुवाद यहां उपलब्ध करवा रहे हैं |

आप स्वयं इन्हें पढ़ के देखें कि क्या कहीं भी अंगारक दोष की चर्चा इन ग्रन्थ में आयी है ? और अगर नहीं तो फिर क्यों हम इसके चक्कर में अशांत हों और धन और समय की बर्बादी करें ?

उदाहरण कुंडली


आज हम आपके लिए लेकर आये हैं श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की कुंडली (साभार एस्ट्रोसेज):

Kundali of Rabindranath Tagore

इनकी कुंडली में मंगल और केतु एक साथ हैं | लेकिन क्या इनकी ज़िन्दगी बर्बाद हो गयी ? नहीं ! ये अतीव विद्वान् थे | इनकी रचना को नोबल पुरस्कार भी मिला | इनके जीवन में धन की भी कोई कमी नहीं थी | विशेष विस्तार से समझने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल का यह वीडियो देखें :

सारांश


अंगारक दोष एक अशास्त्रीय दोष है ! ये प्रचलित इसलिए हो गया क्योंकि इसको समझने के लिए कुंडली का गहन अध्ययन नहीं करना पड़ता | कोई बच्चा भी क्रैश कोर्स करके ज्योतिषी बन जाए तो वो दूर से ही देख सकता है की मंगल और राहु या केतु साथ में है – और वह लोगों को डरा कर अपना धंधा चला सकता है | हम यह नहीं कहते कि सभी ज्योतिषी ऐसे ही होते हैं | लेकिन कई ऐसे जरूर होते हैं | इसलिए ऐसे अशास्त्रीय बातों से सावधान रहें और बिना शास्त्रीय कुंडली विश्लेषण के किसी इलाज के चक्कर में पड़ कर अपने धन और समय की हानि नहीं करें !