Sixth house Lord in various houses of kundali

षष्ठेश (रोगेश) का कुंडली के बारह भावों में फल

कुंडली के छठे भाव को ऋण, रोग और शत्रु का भाव कहा जाता है | इस में स्थित राशि के स्वामी को षष्ठेश कहा जाता है| रोग भाव के स्वामी होने के कारण इसको रोगेश भी कहते हैं | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर षष्ठेश अलग-अलग फल प्रदान करता है | पहले तो जल्दी […]

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Shrapit Dosha due to Saturn Rahu Conjunction

क्या श्रापित दोष ज़िन्दगी को मौत से बदतर बना देता है ?

भूमिका योग दर्शन के दूसरे पाद (साधन पाद ) में एक सूत्र है : हेयं दुःखमनागतम् (योग दर्शन २/१६)| यह सूत्र कहता है कि जीवन के भूत काल में जो दुःख आये थे उन्हें तो हम अतीत में जाकर नहीं बदल सकते | लेकिन भविष्य में आने वाले दुखों से बचने से प्रयत्न अवश्य किया

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Kaal Sarp Dosh

क्या काल सर्प दोष लोगों की ज़िन्दगी कष्टमय बना देता है ?

भूमिका हमेशा से मनुष्यों को भविष्य जानने की इच्छा रही है | ज्योतिष का इतिहास समय सीमा से पार जाती है | हज़ारों साल पुरानी गुफाओं में ज्योतिष के चिन्ह मिले हैं | ज्योतिष शास्त्र एक अतीव प्राचीन शास्त्र है | वैदिक ज्योतिष का मूल ग्रन्थ बृहत् पराशर होरा शास्त्र है | इसके बाद भी

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Mars planet angaraka angarak yoga

क्या अंगारक दोष लोगों की ज़िन्दगी बर्बाद कर देता है ?

भूमिका मित्रों ! रामायण और महाभारत हमारे दो प्राचीन महा काव्य हैं | ये हज़ारों वर्ष पुराने हैं | समय के साथ इनकी कथाएं जन – जन में व्याप्त हो चुकी है | लेकिन इसकी यही प्राचीनता कभी कभी समस्या की जड़ भी बन जाती है | समय के साथ इस में कई सारी किम्वदंतियां

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Effect of Fifth House Lord In Various Houses

पंचमेश का बारह भावों में फल

कुंडली के पंचम भाव को शिक्षा-संतान का भाव कहा जाता है एवं इस में स्थित राशि के स्वामी  को पंचमेश कहा जाता है| ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, एवं प्रेम का होता है | संतान अर्थात सुत भाव के स्वामी होने की वजह से पंचमेश को सुतेश भी कहा जाता है | कुंडली

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Effect of fourth house lord in the various houses of horscope

चतुर्थेश (सुखेश) का बारह भावों में फल

कुंडली के चतुर्थ भाव को सुख का भाव माना जाता है एवं इस भाव में स्थित राशि के स्वामी को चतुर्थेश कहा जाता है | ज्योतिष में कुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि का कारक भाव होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर चतुर्थेश

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Effect of third house lord in various houses

तृतीयेश का बारह भावों में फल

कुंडली के तीसरे भाव को पराक्रम भाव कहा जाता है और उस भाव में स्थित राशि का स्वामी तृतीयेश कहलाता है। ज्योतिष में तृतीय भाव पराक्रम, छोटे भाई-बहिन, कंठ-गला एवं साहस का होता है | पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर तीसरे

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Ketu in twelve houses of Janam Kundli (Natal Chart)

केतु का बारह भावों में फल

कहा जाता है की स्वर्भानु नामक राक्षस ने समुद्र मंथन के समय छल से देवताओं का रूप धारण किया और अमृत पान करने लगे | सूर्य चंद्र ने उन्हे पहचान कर विष्णु को सावधान कर दिया और विष्णु ने अपने चक्र से स्वर्भानु का मस्तक छेदन कर दिया | वही दो भागों में विभक्त होकर

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Rahu-in-twelve-house-of-kundali

राहु का बारह भावों में फल

कहा जाता है की स्वर्भानु नामक राक्षस ने समुद्र मंथन के समय छल से देवताओं का रूप धारण किया और अमृत पान करने लगे | सूर्य चंद्र ने उन्हे पहचान कर विष्णु को सावधान कर दिया और विष्णु ने अपने चक्र से स्वर्भानु का मस्तक छेदन कर दिया | वही दो भागों में विभक्त होकर

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शनि का बारह भावों में फल

शनि को सूर्य पुत्र भी कहा गया है | गति धीमी होने के कारण इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है | मन्दगामी होने की वजह से शास्त्रों में इसे मंद भी कहा गया है | शनि एक अशुभ ग्रह माने जाते हैं | शनि दुख, आलस्य, कष्ट आदि का कारक है | जन्म कुंडली में

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