बुध को पुराणों में चंद्रमा का पुत्र कहा गया है | बुध एक सौम्य ग्रह माने जाते हैं (अगर कोई और पाप ग्रह साथ में नहीं हो तो ) | बुध वाणी, विद्या, लेखन, गणित, त्वचा आदि का कारक है | जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं | विभिन्न भावों में बैठ कर बुध अलग अलग फल देता है | यहाँ हम बारह भावों में बुध के स्थित होने का फल बताएँगे |
यहाँ एक चेतावनी देना आवश्यक है | बुध किस भाव का स्वामी है, लग्नेश के साथ बुध का कैसा संबंध है, उस पर किसकी दृष्टि है, किसके साथ युत है, षड़बल में उसकी कैसी स्थिति है, अन्य षोड़श्वर्गीय कुंडलियों में उसकी कैसी स्थिति है – इत्यादि विषयों को देखे बिना हम सीधे नहीं कह सकते की अमुक भाव में बुध ऐसा फल करेगा | पर लाओत्सू ने कहा है की हज़ार मील की यात्रा भी पहले कदम से शुरू होती है | यहाँ हम शास्त्रों में वर्णित बुध के विभिन्न भाव में स्थित होने का फल बता रहे हैं | इन्हें अंतिम सूत्र न मानें | इन्हें अनेक सूत्रों में से केवल एक सूत्र मानकर अध्ययन करें तो लाभदायक रहेगा |
1. बुध लग्न में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
2. बुध दूसरे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
3. बुध तीसरे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
4. बुध चौथे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
होरारत्नम्:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
5. बुध पाँचवे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 27):
6. बुध छठे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 28):
7. बुध सातवें भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
8. बुध आठवें भाव में
यवन जातक:
वृद्ध यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
9. बुध नौवें भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 31):
10. बुध दशवे भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 32):
11. बुध ग्यारहवें भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 33):
12. बुध बारहवें भाव में
यवन जातक:
चमत्कार चिन्तामणि:
मानसागरी:
लग्न चंद्रिका:
सारावली:
जातकाभरणम्:
भृगु सूत्र:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 34):
फलदीपिका में बुध के विभिन्न भावों में स्थित होने के ये फल बताए गये हैं :
वराहमिहिर कृत बृहज्जातक के अठारवें अध्याय अर्थात भावाध्याय में बुध के बारहों भाव में फल दिए गए हैं |
इसके अतिरिक्त गौरी जातक नामक ग्रंथ में बुध का चंद्रमा से विभिन्न भावों में स्थिति का फल बताया गया है: