केतु का बारह भावों में फल
कहा जाता है की स्वर्भानु नामक राक्षस ने समुद्र मंथन के समय छल से देवताओं का रूप धारण किया और अमृत पान करने लगे | सूर्य चंद्र ने उन्हे पहचान कर विष्णु को सावधान कर दिया और विष्णु ने अपने चक्र से स्वर्भानु का मस्तक छेदन कर दिया | वही दो भागों में विभक्त होकर […]