Common Sutras of Astrology

ज्योतिष के सामान्य सूत्र

भूमिका

जातक से सम्बंधित कई प्रकार की बातें ज्योतिषी से पूछी जाती है | उदाहरणस्वरूप: जातक की पढ़ाई लिखाई कैसी होगी ? विवाह का कैसा योग है ? दीर्घायु होगा या नहीं ? धन होगा या नहीं? भूमि भवन वाहन का सुख मिलेगा या नहीं ? विदेश यात्रा हो पाएगी या नहीं? नौकरी ठीक रहेगा या व्यापार? किस क्षेत्र का रोजगार ठीक रहेगा? इत्यादि |  इन सब विषयों पर शास्त्रों में अनेक सूत्र दिए गए हैं |  लेकिन मोटा – मोटी कुछ सूत्र ऐसे हैं जो  प्रायः हर प्रश्न के लिए सटीक बैठते हैं | उन सूत्रों की इस प्रबंध में हम चर्चा करेंगे |

द्रष्टव्य विषय

किसी भी बात को जानने के लिए हमें तीन बातों पर विशेष बल देना पड़ता है :

भाव, भावेश, कारक और दृष्टि|

इसके अतिरिक्त हमारे शास्त्रों में किसी भी ग्रह के नियंत्रक ग्रह की भी चर्चा आयी है | कोई भी ग्रह जिस राशि में हो, उस राशि के स्वामी ही उस ग्रह के नियंत्रक ग्रह हो जाते हैं |कोई भी ग्रह तब अधिक अच्छा फल दे पता है जब उसके नियंत्रक ग्रह शुभ स्थिति में हों | इस पर इंटरनेट पर अधिक सामग्री उपलब्ध नहीं है | हमने पहली बार शास्त्र प्रमाणों के साथ नियंत्रक ग्रह के बारे में बताया है | हमारा यह वीडियो अवश्य द्रष्टव्य है :

भाव

कुंडली में बारह भाव होते हैं | वे बारह भाव इस प्रकार हैं:

तन भाव:

यह कुंडली का प्रथम भाव है | इससे शरीर, वर्ण, गन, आकृति, सुख, दुःख, प्रवास, दुर्बलता या सबलता, रूप, लक्षण और तेज का विचार किया जाता है | इस भाव का कारक सूर्य है |

धन भाव :

यह कुंडली का द्वितीय भाव है | इससे धन, नेत्र, विशेषतः दाहिना नेत्र, मुख, कुटुंब, वाक्य, मौसी, मामा, मित्रता, खाने के पदार्थ, साधारण विद्या आदि का विचार किया जाता है | इसका कारक बृहस्पति है |

सहज या पराक्रम भाव :

यह कुंडली का तीसरा भाव है |भ्राता, विशेषतः कनिष्ठ भगिनी व भ्राता, पराक्रम, साहस, धैर्य, वीर्य, एवं औषधि का विचार होता है | इसका कारक मंगल है |

सुख भाव :

यह कुंडली का चौथा भाव है | इससे विद्या, माता, भू-संपत्ति, वहां सुख, बंधू और पिताकी संपत्ति इत्यादि का विचार किया जाता है | चन्द्रमा और बुध इसके कारक हैं |

पुत्र भाव :

यह कुंडली का पंचम भाव है | इस भाव से देव भक्ति, पुत्र, बुद्धि, पुण्यकर्म, राजानुग्रह, बुद्धि की तीक्ष्णता और विवेचना शक्ति का विचार किया जाता है | बृहस्पति इस भाव का कारक है |

शत्रु भाव :

यह कुंडली का षष्ठ भाव है | इसको रिपुस्थान भी कहते हैं |इ भाव से शत्रु, क्षति, क्लेश, विघ्न, कर्जा, रोग, चोर, घाव, मामा, उदरभाग इत्यादि का विचार होता है |  भाव के कारक हैं |

जाया भाव:

यह कुंडली का  सप्तम भाव है | इससे स्त्री, पति, विवाह, सफर, पदप्राप्ति, वाणिज्य, इत्यादि का विचार होता है | शुक्र इसका कारक है |

मृत्यु भाव :

यह कुंडली का अष्टम भाव है | इसको निधन भाव भी कहते हैं | आयु, जीवन, मरण, मरणहेतु, मृत्यु स्थान, उच्च पद से पतन इत्यादि का विचार इस भाव से किया जाता है | शनि इसका कारक है |

भाग्य भाव :

यह कुंडली का इसको धर्म भाव भी कहा गया है | धर्मानुष्ठान, तपस्या, गुरु अनुग्रह, तीर्थ यात्रा, भाग्य, कानून, संपत्ति इत्यादि का विचार इससे किया जाता है | इसके कारक बृहस्पति और सूर्य हैं |

कर्म भाव :

यह कुंडली का  दशम भाव है | प्रभुत्व, सम्मान, व्यवसाय, कृषि, पदवी, देशांतर यात्रा, संन्यास, विज्ञान, घुटना इत्यादि का विचार इस भाव से किया जाता है | बृहस्पति, सूर्य, बुध और शनि इसके कारक हैं |

लाभ भाव :

यह कुंडली का ग्यारहवां भाव है | इसको आय भाव भी कहते हैं | इसके द्वारा सर्व वस्तुओं का लाभ , हाथी , घोडा,  बड़ा भाई और बहन, मित्र, कान इत्यादि का विचार किया जाता है | बृहस्पति इस भाव के कारक हैं |

व्यय भाव:

यह कुंडली का बारहवां भाव है | भ्रमण, दानशीलता, खर्च, नर्क में पतन, बायां नेत्र, शयनादि सुख, राजदंड, कारागार निवास, पतन इत्यादि का विचार इस भाव से होता है | इसका कारक शनि है |

हर भाव में हर ग्रह का एक सा फल नहीं होता |

सूर्य के विभिन्न भावों में फल यहाँ देखें |

चंद्र के कुंडली के विभिन्न भावों में फल यहाँ देखें |

मंगल के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

बुध के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

गुरु के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

शुक्र के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

शनि के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

राहु के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

केतु के कुंडली के बारह भावों में फल यहाँ देखें |

भावेश

हर भाव के स्वामी को भावेश कहते हैं | किसी भी भाव के स्वामी को इस तालिका से पहचाना जा सकता है :

हर भावेश का अलग अलग भावों में अलग अलग फल मिलता है |

लग्नेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

धनेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

पराक्रमेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

सुखेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

पंचमेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

षष्ठेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

सप्तमेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

अष्टमेश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

भाग्येश का बारह भावों में फल यहाँ देखें |

अन्य भावेशों के फल के पृष्ठ भी निर्माणाधीन हैं |

कारक

हर ग्रह के पास कई विषयों का कारकत्व होता है | यहाँ संक्षेप में ग्रहों के कारकत्व दिए जाते हैं :

सूर्य: आत्मा, पिता , हड्डी, सरकार, शक्ति, तीक्ष्णता, मंदिर, बल, ताप, धैर्य, ज्ञान, प्रताप, यश, पेट, ह्रदय, आँख, यात्रा, क्रोध आदि का कारक है |

चंद्र: मन, सुगंध, रोग, मानसिक भाव, छाती, स्त्री, नींद, सुख, प्रसन्नता, जलीय पदार्थ, चांदी, यात्रा, माता, खाना पीना इत्यादि का कारक है |

मंगल: शूरता, भूमि, बल, छोटा भाई, विरोध, युद्ध, लड़ाई झगड़ा, प्रीत, सेनापति, अस्त्र शास्त्र, चोट चपेट दुर्घटना, क्रोध, चित्त की चंचलता इत्यादि का कारक है |

बुध: बुद्धि, वाणी, विद्या, गणित, ज्योतिष, शास्त्रज्ञ, लेखन कार्य, शुभ व्याख्यान, शिल्प, कला, तीर्थ यात्रा,  त्वचा,गला, नम्रता, हंसी मज़ाक, भक्ति इत्यादि का कारक है |

गुरु: ज्ञान, सुख, ब्राह्मण, शिक्षक, गौ, जोड़ा हुआ धन, निधि, प्रताप, कीर्ति, तर्क, संतान, गुरुजन, महल, ज्येष्ठ भ्राता, राज्य से सम्मान, पीला रंग, दान, परोपकार, वसा इत्यादि का कारक है |

शुक्र: कामना, पत्नी, विवाह, आकर्षण, आय, आकर्षक वस्त्र, आरामदेह जीवन, सुख, मैथुन, सुख, खटाई, ऐश्वर्य, अहंकार, वाहन, राजसी वृत्ति, सुंदरता, भोग, स्त्री सुख इत्यादि का कारक है |

शनि: दुःख, आलस्य, आयु, बहुत कष्ट, रोग विरोध, जड़ता, मरण, स्त्री से सुख, डरावनी सूरत, दान, स्वामी, नपुंसक, अधार्मिक कृत्य, वायु, वृद्धावस्था, दुष्ट से मित्रता, चित्त में कठोरता इत्यादि का कारक है |

राहु: राज्य, संग्रह, कुतर्क, बाहुबल, मर्मभेदी वाक्य, अधार्मिक, जुआ, झूठ, भ्रम, जादू, सूजन, विषम स्थानों में भ्रमण, वायु, कफ से पीड़ा, महान प्रताप इत्यादि का कारक है |

केतु: देवताओं की उपासना, डॉक्टर, हर प्रकार का ऐश्वर्य, ज्वर, क्षय रोग, महामारी, आँखों का दर्द, विरक्ति, ब्रह्मज्ञान, वेदांत इत्यादि का कारक है |

ग्रहों से सम्बंधित रोजगार अथवा व्यापार

यहाँ ग्रहों से सम्बंधित व्यापार भी जान लेना आवश्यक है |

सूर्य से संबंधित व्यापार :

सरकारी नौकरी , सरकारी सेवा , उच्च स्तरीय प्रशासनिक सेवा , मजिस्ट्रेट , राजनीति , सोने का काम करने वाले , जौहरी , फाईनान्सर , प्रबन्धक , , राजदूत , चिकित्सक दवाइयों से संबंधी मैनेजमेंट , , उपदेशक , मंत्र कार्य , फल विक्रेता , वस्त्र , घास फूस से निर्मित सामाग्री , तांबा , स्वर्ण, माणिक , सींग या हड्डी के बने समान , खेती बाड़ी , धन विनियोग , बीमा एजेंट , सरकारी मुखबीर , गेहूं से संबंधी , विदेश सेवा , उड्डयन , ओषधि , चिकित्सा , सभी प्रकार के अनाज , लाल रंग के पदार्थ , शहद , लकड़ी व प्लाई वुड का कार्य , चतुर्थ से संबंध बनाकर इमारत बनाने मे काम आने वाला लकड़ी , सर्राफा , वानिकी , ऊन व ऊनी वस्त्र , पदार्थ विज्ञान , अन्तरिक्ष विज्ञान , फोटोग्राफी , नाटक , फिल्मों का निर्देशन , इत्यादि | सूर्य के साथ पंचमेश या नवमेश का संबंध बनता हो तो जातक अपने पिता या पारिवारिक काम को आगे बढ़ सकता है।

चंद्रमा से संबंधित व्यापार :

व्यवसाय क्षेत्र में चंद्रमा एक जलीय ग्रह है अत: इसके कार्यों में जल से संबंधित वस्तुओं का व्यापार करने के अवसर देखे जा सकते हैं। जल से उपरत्न वस्तुएं , पेय पदार्थ , दूध , डेयरी प्रोडक्ट (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ , आईसक्रीम , कोल्ड ड्रिंक्स , मिनरल वाटर , आइस क्रीम , श्वेत पदार्थ , चांदी , चावल , नमक ,चीनी , पुष्प सज्जा , मोती , मूंगा , शंख , ( चीनी मिट्टी ) , कोमल मिट्टी ( मुलतानी ) , प्लास्टर ऑफ पेरिस , सब्जी , वस्त्र व्यवसाय , रेडीमेड वस्त्र , जादूगर , फोटोग्राफिक्स व वीडियो मिक्सिंग , विदेशी कार्य , आयुर्वेदिक दवाएं , आचार -चटनी -मुरब्बे , जल आपूर्ति विभाग , नहरी एवम सिंचाई विभाग , पुष्प सज्जा , , मत्स्य से सम्बंधित क्षेत्र , सब्जियां , लांड्री , आयात -निर्यात , शीशा , चश्मा , महिला कल्याण , नेवी ( नौ सेना ) , जल आपूर्ति विभाग , नहरी एवम सिंचाई विभाग , नाविक , यात्रा से संबंधित कार्य , अस्पताल , नर्सिंग , परिवहन , जनसंपर्क अधिकारी , कथा -कविता लेखन इत्यादि । चन्द्र + राहू – मादक पदार्थ , शराब । चन्द्र + शुक्र – सुगंधित तेल , इत्र ।

चंद्रमा को स्त्री ग्रह माना गया है अत: जब यह अपने ही जैसे दूसरे ग्रह के साथ संबंध बनाता है तो जातक स्त्री पक्ष के साथ मिलकर काम करने वाला बन सकता है।

मंगल से संबंधित व्यापार :

ज्योतिष में मंगल को सेनापति के रुप में दर्शाया गया है । मंगल ग्रह अग्नि तत्व का ग्रह तथा भूमि का कारक माना गया है । इस ग्रह के संदर्भ में सेना संबंधी कार्यों और पुलिस विभाग से जुडे़ कामों को देखा जा सकता है।

पुलिस व सेना की नौकरी , अग्नि कार्य , बिजली का कार्य , विद्युत् विभाग , साहसिक कार्य , धातु कार्य , जमीन का क्रय -विक्रय , भूमि के कार्य , भूमि विज्ञान , रक्षा विभाग , खनिज पदार्थ , इलेक्ट्रिक एवम इलेक्ट्रोनिक इंजिनीयर , मेकैनिक , वकालत , ब्लड बैंक , शल्य चिकित्सक , केमिस्ट , दवा विक्रेता , खून बेचना , सिविल इंजीनियरिंग , शस्त्र निर्माण , बॉडी बिल्डिंग , साहसिक खेल , कुश्ती , स्पोर्टस , खिलाड़ी , फायर ब्रिगेड , आतिशबाजी , रसायन शास्त्र , सर्कस , नौकरी दिलवाने के कार्य , शक्तिवर्धक कार्य , अग्नि बीमा , चूल्हा , ईंधन , पारा , पत्थर , मिट्टी का समान , तांबे से संबंधित कार्य , धातुओं से सम्बंधित कार्य क्षेत्र , लाल रंग के पदार्थ , बेकरी , कैटरिंग , हलवाई , रसोइया , इंटों का भट्ठा , बर्तनों का कार्य , होटल एवम रेस्तरां ,फास्ट -फ़ूड , जूआ , मिटटी के बर्तन व खिलौने , नाई , औज़ार , भट्ठी , इत्यादि।

यदि कार्य क्षेत्र का स्वामी होते हुए मंगल केतु, सूर्य जैसे अग्नि युक्त ग्रहों से संबंध बनाता है तो व्यक्ति अग्नि संबंधित कामों से धनोपार्जन करता है. भठ्ठी के काम, बिजली के काम, भोजन बनाने संबंधी काम या कल-कारखानों में काम कर सकता है।

बुध ग्रह से सम्बन्धित व्यापार :

बुध एक पूर्ण वैश्य रूप का ग्रह है । व्यापार से जुडे़ होने वाला एक ग्रह है जो जातक को उसके कारक तत्वों से पुष्ट करने में सहायक बनता है। इसी के साथ व्यक्ति को अपनी बौधिकता का बोध भी हो पाता है और उसे सभी दृष्टियों से कार्यक्षेत्र में व्यापार करने वाला बनाता है।

व्यापार कार्य , वेदों का अध्यापन , लेखन कार्य ( लेखक ) , ज्योतिष कार्य , प्रकाशन का कार्य , चार्टड एकाउटेंट , मुनीम , शिक्षक , गणितज्ञ , कन्सलटैंसी , वकील , ब्याज , बट्टा , पूंजी निवेश , शेयर मार्केट , कम्प्यूटर जॉब , लेखन , वाणीप्रधान कार्य , एंकरिंग , शिल्पकला , काव्य रचना , पुरोहित का कार्य , कथा वाचक , गायन विद्या , वैद्य , गणित व कोमर्स के अध्यापक , वनस्पति , बीजों व पौधों का कार्य , समाचार पत्र , दलाली के कार्य , वाणिज्य संबंधी , टेलीफोन विभाग , डाक , कोरिय , यातायात , पत्रकारिता , मीडिया , बीमा कंपनी, , ,दलाली , आढ़त , हरे पदार्थ , सब्जियां , लेखा कार , कम्प्यूटर ,फोटोस्टेट , मुद्रण , डाक -तार , समाचार पत्र , दूत कर्म , टाइपिस्ट , कोरियर सेवा , बीमा , सैल टैक्स , आयकर विभाग , सेल्स मैन , हास्य व्यंग के चित्रकार या कलाकार इत्यादि

बुध और शुक्र दोनों बलवान हों तो जातक को वस्त्र उद्योग में अच्छी सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। बुध लेखन का कार्य देता है यदि यह सूर्य जो राज्य से संबंधित होता है उससे प्रभावित हो तो जातक किसी लेखन संस्था से जुड़ सकता है।

बृहस्पति ग्रह से सम्बन्धित व्यापार:

बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है । इसी के साथ इन्हें ज्ञान , विवेक और धन का कारक माना जाता है । ब्राह्मण का कार्य , धर्मोपदेश का कार्य , धर्मार्थ संस्थान , धार्मिक व्यवसाय , कर्मकाण्ड , ज्योतिष , राजनीति , न्यायालय संबंधित कार्य , नयायाधीश , कानून , वकील , बैंकिंग कार्य , कोशाध्यक्ष , राजनीति , अर्थशास्त्र , पुराण , मांगलिक कार्य , अध्यापन कार्य , शिक्षक , शिक्षण संस्थाएं , पुस्तकालय , प्रकाशन , प्रबंधन , पुरोहित , शिक्षण संस्थाएं , किताबों से संबंधित कार्य , परामर्श कार्य , पीले पदार्थ , स्वर्ण , पुरोहित , संपादन , छपाई , कागज से संबंधित कार्य , व्याज कार्य , गृह निर्माण , उत्तम फर्नीचर, शयन उपकरण , खाने पीने की वस्तुएं, स्वर्ण कार्य , वस्त्रोंसे संबंधित , लकड़ी से संबंधित कार्य , सभी प्रकार के फल , मिठाइयाँ , मोम , घी , किरयाना इत्यादि |

जब कुण्डली में बृहस्पति द्वितीयेश व एकादश भावों का स्वामी होकर लग्न , लग्नेश पर प्रभाव डालता हुआ दशम भाव से संबंध बनाता हो तो व्यक्ति बैंक अधिकारी , चल सम्पत्ति का से जुडा़ काम करके पैसा कमा सकता है अथवा किराया , सूद ब्याज द्वारा जीविकोपार्जन कर सकता है ।

शुक्र ग्रह से सम्बन्धित व्यापार:

शुक्र को सुंदरता , ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े क्षेत्रों का अधिपति माना जाता है। शुक्र की प्रबल स्थिति जातक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बनाती है। शुक्र के प्रबल प्रभाव से महिलाएं अति आकर्षक होती हैं। शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत , सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सफल होते हैं। शुक्र शारीरिक सुखों के भी कारक हैं। प्रेम संबंधों में शुक्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

कलात्मक कार्य , संगीत (गायन , वादन , नृत्य), अभिनय , चलचित्र संबंधी डेकोरेशन , ड्रेस डिजायनिंग , मनोरंजन के साधन , फिल्म उद्योग , वीडियो पार्लर , मैरिज ब्यूरो , इंटीरियर डेकोरेशन , फैशन डिजाइनिंग , पेंटिंग , श्रृंगार के साधन , कोसमेटिक , इत्र , गिफ्ट हॉउस , चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ , विवाह से संबंधित कार्य , महिलाओं से संबंधित कार्य , विलासितापूर्ण वस्तु , गाड़ी , वाहन व्यापारी , ट्रांसपोर्ट , सजावटी वस्तुएं , मिठाई संबंधी , रेस्टोरेंट , होटल , खाद्य पदार्थ , श्वेत पदार्थ , दूध से बने पदार्थ , दूध उत्पादन ( दुग्धशाला ) , दही , चावल , धान , गुड़ , खाद्य पदार्थ , सोना , चांदी , हीरा , जौहरी , वस्त्र निर्माता , गारमेंट्स , पशु चिकित्सा , हाथी घोड़ा पालना , टूरिज्म , चाय – कॉफी , शुक्र + मंगल – रत्न व्यापारी , शुक्र + राहु या शनि – ब्यूटी पार्लर , शुक्र + चन्द्र – सोडावाटर फेक्ट्री , तेल , शर्बत , फल , तरल रंग ,

शुक्र आजीविका भाव में बली अवस्था में हो , दशमेश हो , या फिर दशमेश के साथ उच्च राशि का स्थित हो , तो व्यक्ति में कलाकार बनने के गुण होते है। वह नाटककार और संगीतज्ञ होता है। उसकी रुचि सिनेमा के क्षेत्र में काम करने की हो सकती है। भवन बनाने वाले इंजिनियर, दुग्धशाला, नौसेना, रेलवे, आबकारी, यातायात, बुनकर, आयकर, सम्पति कर आदि का कार्य करता है।

शनि ग्रह से सम्बन्धित व्यापार:

शनि का भूमि क्षेत्र से विशेष संबंध है। शनि पृथ्वी के भीतर पाये जाने वाले पदार्थ का कारक है। लोहा संबन्धित कार्य , मशीनरी के कार्य , केमिकल प्रोडक्ट , ज्वलनशील तेल ( पैट्रोल, डीजल आदि ) , कुकिंग गैस , प्राचीन वस्तुएं , पुरातत्व विभाग , अनुसंधान कार्य , ज्योतिष कार्य , लोहे से संबंधित कच्ची धातु , कोयला , चमड़े का काम , जूते , अधिक श्रम वाला कार्य , नौकरी , मजदूरी , ठेकेदारी , दस्तकारी , मरम्मत के कार्य , लकड़ी का कार्य , मोटा अनाज , प्लास्टिक एवम रबर उद्योग , काले पदार्थ , स्पेयर पार्ट्स , भवन निर्माण सामग्री , पत्थर एवम चिप्स , ईट , शीशा , टाइल्स , राजमिस्त्री , बढ़ई , श्रम एवम समाज कल्याण विभाग , टायर उद्योग , पलम्बर , घड़ियों का काम , कबाड़ी का काम , जल्लाद , तेल निकालना , पी डब्लू डी , सड़क निर्माण , सीमेंट । शनि + गुरु + मंगल – इलेक्ट्रिक इंजिनियर । शनि + बुध + गुरु – मेकेनिकल इंजीनियर । शनि + शुक्र – पत्थर की मूर्ति ,

राहु से सम्बन्धित व्यवसाय:

राहु कुंडली में विशेषकर विच्छेद आत्मक कार्यों का कारक रहा है। ऐसे में जातक ब्रोकर कमीशन एजेंट आदि से संबंधित कार्य कर सकता है। कम्प्युटर , बिजली , अनुसंधान , आकस्मिक लाभ वाले कार्य , मशीनों से संबंधित , तामसिक पदार्थ , जासूसी गुप्त कार्य , विषय संबंधी , कीट नाशक , एण्टी बायोटिक दवाईयां , पहलवानी , जुआ , सट्टा , मुर्दाघर , सपेरा , पशु वधशाला , जहरीली दावा , चमड़ा व खाल ,

केतु से सम्बन्धित व्यापार:

केतु को यदि कुंडली में एकल अवस्था में गिना जाए तो के तो धर्म का कारक होता है ऐसी स्थिति में जातक धर्म से संबंधित कार्य भक्ति चिकित्सा आदि कार्य करता है। समाज सेवा से जुड़े कार्य , धर्म, आध्यात्मिक कार्य , रहस्यमयी विज्ञान , आदि।

दृष्टि

बुध, गुरु और शुक्र प्रायः शुभ माने जाते हैं | इनकी दृष्टि का शुभ प्रभाव होता है | मंगल, शनि, राहु और केतु पाप ग्रह माने जाते हैं और इनकी दृष्टि का फल प्रायः अशुभ मिलता है | हर ग्रह के पास सातवीं दृष्टि होती है | लेकिन मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु के पास दो और दृष्टियां होती हैं | मंगल की चौथी और आठवीं दृष्टि भी होती है | गुरु, राहु और केतु की पांचवीं और नौवीं दृष्टि भी होती है | शनि की तीसरी और दसवीं दृष्टि भी होती है |

ज्योतिष जगत में एक अफवाह यह भी फैलाई गयी है की हर दृष्टि का अलग अलग फल होता है | लेकिन प्राचीन ग्रंथों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता | जिन ग्रह की तीन  दृष्टियां हैं , उन तीनो दृष्टि का समान फल शास्त्रों में बताया गया है |

प्रसिद्ध ग्रन्थ:

इन सब विषयों पर ज्योतिष के अनेकानेक ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं |  कुछ प्रमुख ग्रन्थ यहां बताये जा रहे हैं |

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

यह फलित ज्योतिष का मूल ग्रन्थ है | इसके विभिन्न टीकाएं आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं |

मानसागरी :

यह ज्योतिष का एक प्रसिद्द ग्रन्थ हैं | इस पर अनेक टीकाएं उपलब्ध हैं जिसे आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं |

जातकालंकार :

इसके रचनाकार गणेश कवि हैं | इस पर श्री रमेश चंद्र मिश्र की टीका प्रसिद्ध है जिसे आप यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं |

फलदीपिका :

इसके रचनाकार मंत्रेश्वर हैं |

इस ब्लॉग के डाऊनलोड सेक्शन में आप इन ग्रंथों को निःशुल्क डाऊनलोड कर सकते हैं |

इसके अतिरिक्त भी ज्योतिष के सैकड़ों ग्रन्थ हैं जिनका विस्तृत विवेचन यहां कर पाना असंभव है | उनमें वर्णित सूत्रों के आधार पर कुंडली का विश्लेषण करने से फलकथन कहने में बहुत बल प्राप्त होता है |

सारांश

इन सब विषयों पर विचार करने से किसी भी भाव से सम्बंधित अनेक विषय बताये जा सकते हैं | इन सबके अतिरिक्त युति, षडबल, अष्टकवर्ग  आदि अनेक बातें भी देखी जाती हैं लेकिन विस्तार भय से उनका यहाँ विवेचन नहीं किया जा रहा है |

इन सब विषयों पर शास्त्रीय मत बहुत कम ही देखने को मिलता है | अभी तक हमारी दृष्टि में ज्योतिष रहस्य के अतिरिक्त केवल एक यूट्यूब चैनल है जहां शास्त्रों के आधार पर ज्योतिष सिखाई जाती है | वो ज्योतिषाचार्य श्री श्रवण झा आशुतोष हैं और उनका वेबसाइट यह है | उनके यूट्यूब चैनल पर भी अनेक सामग्री उपलब्ध है जिससे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन हो सकता है | हमारा यूट्यूब चैनल भी आप यहां देख सकते हैं | इन सब विषयों पर आप भलीभांति मनन करेंगे तो आप अवश्य सटीक फलकथन कर पाएंगे |