कुंडली में बारह भाव होते हैं | आठवें भाव को मृत्यु भाव कहते हैं | इस भाव से मृत्यु के बारे में जानते हैं | यह छल-छिद्र और गुप्त धन का भी भाव है| इस भाव के स्वामी को अष्टमेश कहा जाता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर अष्टमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है |
पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर अष्टम भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब आठवें भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए अष्टमेश मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :
राशि क्रम | राशि | राशि स्वामी |
1 | मेष | मंगल |
2 | वृषभ | शुक्र |
3 | मिथुन | बुध |
4 | कर्क | चंद्र |
5 | सिंह | सूर्य |
6 | कन्या | बुध |
7 | तुला | शुक्र |
8 | वृश्चिक | मंगल |
9 | धनु | गुरु |
10 | मकर | शनि |
11 | कुंभ | शनि |
12 | मीन | गुरु |
यहाँ हम अष्टमेश का बारह भावों में फल बताएँगे | अपने मन से जो मुँह में आए वो बोल देने की अपेक्षा हमलोग शास्त्रों के आधार पर इन्हें समझेंगे:
1. अष्टमेश लग्न में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
2. अष्टमेश दूसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
( नोट: यहां अनुवाद में गलती से दूसरे को तृतीय लिख दिया गया है !)
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
3. अष्टमेश तीसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
4. अष्टमेश चौथे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
5. अष्टमेश पाँचवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
6. अष्टमेश छठे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
7. अष्टमेश सातवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
8. अष्टमेश आठवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
9. अष्टमेश नौवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
10. अष्टमेश दशवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
11. अष्टमेश ग्यारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):
12. अष्टमेश बारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 30):