Effect of fourth house lord in the various houses of horscope

चतुर्थेश (सुखेश) का बारह भावों में फल

कुंडली के चतुर्थ भाव को सुख का भाव माना जाता है एवं इस भाव में स्थित राशि के स्वामी को चतुर्थेश कहा जाता है | ज्योतिष में कुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि का कारक भाव होता है | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर चतुर्थेश अलग-अलग फल प्रदान करता है |

पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर चौथे भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब चतुर्थ भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए चतुर्थेश मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :

राशि क्रमराशिराशि स्वामी
1मेषमंगल
2वृषभशुक्र
3मिथुनबुध
4कर्कचंद्र
5सिंहसूर्य
6कन्याबुध
7तुलाशुक्र
8वृश्चिकमंगल
9धनुगुरु
10मकरशनि
11कुंभशनि
12मीनगुरु

यहाँ हम चतुर्थेश (सुखेश) का बारह भावों में फल बताएँगे | अपने मन से जो मुँह में आए वो बोल देने की अपेक्षा हमलोग शास्त्रों के आधार पर इन्हें समझेंगे :

1. चतुर्थेश (सुखेश) लग्न में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

2. चतुर्थेश (सुखेश) दूसरे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

3. चतुर्थेश (सुखेश) तीसरे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

4. चतुर्थेश (सुखेश) चौथे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:  

5. चतुर्थेश (सुखेश) पाँचवे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

6. चतुर्थेश (सुखेश) छठे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

7. चतुर्थेश (सुखेश) सातवें भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

8. चतुर्थेश (सुखेश) आठवें भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

9. चतुर्थेश (सुखेश) नौवें भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

10. चतुर्थेश (सुखेश) दशवे भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

11. चतुर्थेश (सुखेश) ग्यारहवें भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता:

12. चतुर्थेश (सुखेश) बारहवें भाव में

बृहत् पराशर होरा शास्त्र:

मानसागरी:

यवन जातक:

भृगु संहिता:

लोमश संहिता: