भूमिका
ज्योतिष शास्त्रों में दो प्रकार के भविष्य की चर्चा आयी है – एक अवश्यम्भावी और दूसरा सम्भाव्य | अवश्यम्भावी होकर ही रहेगा | लेकिन सम्भाव्य जरूरी नहीं है की हो ही | यह आपके प्रयासों पर निर्भर करता है | अगर आप ग्रह शान्ति के हेतु युक्त कार्य करते हैं तो अशुभ फलों को टाला भी जा सकता है |
जातक सारदीप में विष्णु धर्मोत्तर पुराण का मत कहा गया है:
जातकाभरण में भी लिखा है :
लेकिन समस्या यह है की किस ग्रह की शान्ति के लिए कौन सा उपाय करें यह शास्त्रीय पद्धति से कोई नहीं बताता | जिसके मन में जो उपाय आता है वो बोल देता है | यहाँ हम अनेक शास्त्र प्रमाणों के साथ हर ग्रह की शान्ति के लिए उचित दान की बात बताएँगे |
यहाँ बताये गए सारे दानों को करना आवश्यक नहीं है | यथाशक्ति जो संभव हो उसीका दान करें तो भी परिणाम शीघ्र देखने को मिलेगा |
आचार्य मंत्रेश्वर रचित फलदीपिका के दूसरे अध्याय में बहुत संक्षेप में ग्रहों से सम्बंधित दान का वर्णन आया है:
अन्य ग्रंथों में यह विषय विस्तार से आया है:
सूर्य की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
चंद्र की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
मंगल की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
बुध की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
गुरु की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
शुक्र की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
शनि की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
राहु की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
केतु की शान्ति के लिए दान
जातकाभरणम
जातक चन्द्रिका
जातक सारदीप
निष्कर्ष
ग्रहों की हमसे कोई शत्रुता नहीं है | वह हमारे पुण्य कर्मों के अनुसार फल देते हैं | शुभ कर्म करने से न सिर्फ हमारा कल्याण होता है अपितु समाज का भी भला होता है | अतएव यथासंभव शुभ कर्म अवश्य करते रहने चाहिए | जातक सारदीप कहती है :