कुंडली में बारह भाव होते हैं | सप्तम भाव को जाया भाव कहते हैं | इस भाव से पति अथवा पत्नी के बारे में जानते हैं | व्यापार में साझेदारी और यात्रा के बारे में भी इस भाव से विचार करते हैं | इस भाव के स्वामी को सप्तमेश कहा जाता है |प्रेम के देवता मदन (कामदेव) कहे जाते हैं | इसलिए इस भाव के स्वामी को मदनेश भी कहते हैं | कुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर सप्तमेश अलग-अलग फल प्रदान करता है |
पहले तो जल्दी से यह जान लें कि किसी भी भाव के स्वामी को कैसे पहचानते हैं ? अगर सप्तम भाव में 1 लिखा हो तो इसका मतलब सातवें भाव में मेष राशि है | मेष राशि के स्वामी मंगल हैं | इसलिए सप्तमेश मंगल हुए | निम्नलिखित तालिका से आप किसी भी भाव के स्वामी को पहचान सकते हैं :
राशि क्रम | राशि | राशि स्वामी |
1 | मेष | मंगल |
2 | वृषभ | शुक्र |
3 | मिथुन | बुध |
4 | कर्क | चंद्र |
5 | सिंह | सूर्य |
6 | कन्या | बुध |
7 | तुला | शुक्र |
8 | वृश्चिक | मंगल |
9 | धनु | गुरु |
10 | मकर | शनि |
11 | कुंभ | शनि |
12 | मीन | गुरु |
यहाँ हम सप्तमेश का बारह भावों में फल बताएँगे | अपने मन से जो मुँह में आए वो बोल देने की अपेक्षा हमलोग शास्त्रों के आधार पर इन्हें समझेंगे :
1. सप्तमेश लग्न में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
2. सप्तमेश दूसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
3. सप्तमेश तीसरे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
4. सप्तमेश चौथे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
5. सप्तमेश पाँचवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
6. सप्तमेश छठे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
7. सप्तमेश सातवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
8. सप्तमेश आठवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
9. सप्तमेश नौवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
10. सप्तमेश दशवे भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
11. सप्तमेश ग्यारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):
12. सप्तमेश बारहवें भाव में
पराशर:
मानसागरी:
यवन जातक:
भृगु संहिता:
लोमश संहिता:
ज्योतिस्तत्त्वम् (अध्याय 29):